वैज्ञानिकों ने Covid Jn .1. का नाम दिया है। यह कोविड-19 का नया रूप है जो कि अपने पुराने रूप से काफी समांतर है और उतना ही असरदार अपने पुराने रूप की तरह यह भी हमारी कोशिकाओं पर हमला करता है और पूरे शरीर में फेेल कर हमें बीमार करता है । जिससे हमारी इम्यूनिटी कम होती है और धीरे-धीरे हम कमजोर और अस्थिर होने लगते हैं । इस वायरस का सबसे उग्र रूप हम देख ही चुके हैं पूरा विश्व इसकी चपेट में आ चुका था।
Covid JN.1 अमेरिका से शुरू और अब 11 देशों में मौजूद
असल में या वायरस सबसे पहले सितंबर 2023 को यूनाइटेड स्टेट्स में पाया गया था वहां पर इसकी केसेस 0.01% से भी कम है फिलहाल उसके बाद या 11 अलग-अलग देश में पाए जाने लगा फिलहाल इसको लेकर हो ने कोई हेल्थ एमरजैंसी नहीं लगाई है ना ही इसे कोई सीरियस वायरस के रूप में देखा है। लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है तथा बचाव के लिए तकनीकी भी बताई जा रही है।
Covid JN.1 भारत में नहीं दर्ज हुआ एक भी केस
हमारे देश भारत में अभी इसका एक भी ऑफिशियल कैसे नहीं रजिस्टर हुआ है जिससे थोड़ी रहता है लेकिन हमें इसके प्रति सदर का रहना होगा और जो लापरवाहियां हमने कोविड के बाद फिर से शुरू की है उसे पर लगाम लगानी होगी।
Covid JN.1 कितना अलग है CoVid-19 से -:
कॉविड-19 और jn.1 ba.2.86 के बीच Spike प्रोटीन का अंतर है इस Spike प्रोटीन एक चाभी की तरह काम करता है जो वायरस को हमारे शरीर की कोशिकाओं में जाने में सबसे ज्यादा मदद करता है और उन्हें तेजी से फैलता हैJN.1 BA.2.86 का एक उत्परिवर्तित संस्करण है। BA.2.86 में स्पाइक प्रोटीन पर कुल 20 उत्परिवर्तन हैं, जो पहली बार पता चलने पर एक बड़ी चिंता का विषय था क्योंकि स्पाइक प्रोटीन वह है जो वायरस मेजबान की कोशिकाओं को पकड़ने के लिए उपयोग करता है। कहा जाता है कि JN.1 में BA.2.86 से एक ही बदलाव है।
स्पाइक प्रोटीन – कोरोना ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है क्राउन। क्राउन के चारों तरफ सूरज की रोशनी की तरह किरणें निकली होती हैं। ऐसी ही संरचना कोरोना वायरस की है। कोरोना वायरस की जो ये लाइन बाहर की तरफ निकली होती हैं, ये स्पाइक प्रोटीन होती हैं। इसी को एस प्रोटीन भी कहा जाता है।
स्पाइक प्रोटीन के प्रकार एस1 – एस1 शरीर में कोशिकाओं में एस2 रिसेप्टर से जाकर चिपक जाती है। एस2 – रिसेप्ट को तोड़ती है और वायरस की एंट्री कराती है।
क्या था कोरोना वायरस ?
कोरोनावायरस आरएनए वायरस था वह भी सिंगल स्टैंडिंग जबकि डीएनए वायरस डबल चैन में होते हैं आरएनए प्रोटीन बनता है जिससे जिसके स्ट्रक्चर की मदद से वह हमारे रक्त कोशिकाओं में फैलता है ।
https://coronavirus.jhu.edu/map.html
स्पीक प्रोटीन क्या करता है ?
स्पाइक प्रोटीन हमारे शरीर में मौजूद ace2 रिसेप्टर को निशाना बनाते हैं जिससे यह उनके जरिए हमारे रक्त कोशिकाओं में फेफड़ों में किडनी में दिल में हर जगह फैलने लगते हैं ACE रिसेप्टर सबसे ज्यादा हमारे फेफड़ों में पाए जाते हैं जिनकी वजह से यह वाइरस सबसे ज्यादा फेफड़ों पर असर करते हैं।
बच्चों के मुकाबले बड़ों में करता है ज्यादा नुकसान ?
बच्चों में या ऐसी रिसेप्टर काम होते हैं इसकी वजह से बच्चों पर या वायरस कम असर करता है वही जैसे हमारी उम्र आगे बढ़ती है ACE रिसेप्टर की संख्या भी बढ़ने लगती है और यह धीरे-धीरे पूरे शरीर में मौजूद हो जाता है जिसकी वजह से जब वायरस हमारे ACE रिसेप्टर को कंट्रोल करता है तो उसे पूरे शरीर में मौजूद कोशिकाओं को भी कंट्रोल करने की अनुमति मिल जाती है और वह तेजी से फैल के फिर हमारे शरीर को प्रभावित करना शुरू कर देता है ।
आरटीपीसीआर टेस्ट में पकड़ना है मुश्किल ?
स्पाइक प्रोटीन में बदलाव के चलते दोनों वायरसों का स्ट्रक्चर भी बदल चुका है जिसकी वजह से पुराने RTPCR टेस्ट में भी यह वाइरस पकड़ में नहीं आएगा क्योंकि वह मशीन पुरानी है और यह वायरस का स्ट्रक्चर नया ।
क्या हमें नई वैक्सीन की जरूरत है ?
वायरस प्रोटीन आरएनए से बनता है और और आरएनए स्पीक प्रोटीन से जब स्पीक प्रोटीन में ही बदलाव होगा तो वायरस के स्ट्रक्चर में भी बदलाव होगा जिसकी वजह से इसका टेस्ट में आना मुश्किल है लेकिन पुराने कोविड-19 वैक्सीन की उसे पर इतना ही रहेगा जितना कि वह कोविड पर था क्योंकि यहां बदलाव सिर्फ स्पीक प्रोटीन पर है बाकी सारी चीजों पर नहीं ।
क्या है इसके लक्षण ?
इसके सभी लक्षण CoVid-19 से एकदम समांतर हैं ।ज्यादा खांसी आना बुखार होना सांस लेने की तकलीफ होना मांसपेशियों का दर्द करना शरीर में जकड़न होना ज्यादा दर्द करना हृदय में दर्द उठना आदि सब कुछ इसके लक्षण है। हम इसकी कोई दवा आपको नहीं सजेस्ट कर सकते इस कारण ऐसे संगीत लक्षण अगर आपको दिखाते हैं तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पतालों में जाकर जांच कराएं व इससे सतर्क रहें ।